जवाई बंध रेलवे स्टेशन

Sumerpur, Bhart

जवई बांध, सुमेरपुर, भारत में आगंतुक घण्टें, टिकट, और यात्रा सुझाव

दिनांक: 31/07/2024

परिचय

जवई बांध, राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में सुमेरपुर शहर के पास स्थित है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व का एक अद्वितीय स्थान है। इसे 20वीं सदी की शुरुआत में विनाशकारी बाढ़ को कम करने के उद्देश्य से बनाया गया था। महाराजा उमेद सिंह के शासनकाल में इस बांध का निर्माण एक महान इंजीनियरिंग कार्य था, जिसे 1957 में उद्घाटन किया गया था (Tour My India, Jawai Nature Stay)। इसका प्राथमिक उद्देश्य जलाशय के रूप में था, लेकिन यह अब एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित हो गया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव शामिल हैं, जिनमें विशेष रूप से तेंदुआ जनसंख्या शामिल है (Times of India)। राबरी जनजाति, जो अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाओं और स्थानीय वन्यजीवों के साथ सहअस्तित्व के लिए जानी जाती है, इस क्षेत्र की समृद्धि में एक और परत जोड़ती है (Rajasthan Tour Planner)।
यह गाइड जवई बांध के इतिहास, सांस्कृतिक महत्व, आगंतुक जानकारी और यात्रा सुझावों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करता है, जिससे यह संभावित आगंतुकों के लिए एक अमूल्य संसाधन बन जाता है।

सामग्री की तालिका

  • [परिचय](# परिचय)
  • [अवधारणा और निर्माण](# अवधारणा-और-निर्माण)
    • [इंजीनियरिंग और विनिर्देश](# इंजीनियरिंग-और-विनिर्देश)
  • [ऐतिहासिक महत्व](# ऐतिहासिक-महत्व)
    • [सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रभाव](# सांस्कृतिक-और-पारिस्थितिक-प्रभाव)
    • [आधुनिक समय में प्रासंगिकता](# आधुनिक-समय-में-प्रासंगिकता)
  • [पर्यटक आकर्षण और आगंतुक जानकारी](# पर्यटक-आकर्षण-और-आगंतुक-जानकारी)
    • [आगंतुक समय और टिकट](# आगंतुक-समय-और-टिकट)
    • [यात्रा सुझाव](# यात्रा-सुझाव)
    • [त्योहार और कार्यक्रम](# त्योहार-और-कार्यक्रम)
  • [FAQ](# FAQ)
  • [निष्कर्ष](# निष्कर्ष)

अवधारणा और निर्माण

जवई नदी, जो लूनी नदी की एक सहायक नदी है, पर बांध बनाने की कल्पना 1903 में की गई थी। इस पहल का उद्देश्य मानसून के मौसम में पाली और जालोर जिलों में गंभीर बाढ़ को कम करना था (Jawai Nature Stay)। 1946 में महाराजा उमेद सिंह द्वारा बांध का निर्माण शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए एक जलाशय बनाना था (Wikipedia)।
निर्माण आधिकारिक रूप से 12 मई 1946 को शुरू हुआ। हालांकि, परियोजना को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, जिससे 1951 में अस्थायी रूप से रोक लगा दी। उस समय तक लगभग 124 लाख रुपये खर्च हो चुके थे। परियोजना फिर से शुरू की गई और अंततः 1957 में 2.7 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ पूरी हुई (Tour My India)।

इंजीनियरिंग और विनिर्देश

जवई बांध पश्चिमी राजस्थान में सबसे बड़ा बांध है, जिसकी क्षमता 7887.5 मिलियन घन फीट है। बांध का क्षेत्रफल 102,315 एकड़ है और यह 61.25 फीट ऊंचा है (Tourism Rajasthan)। इस बांध का निर्माण राज्य के इंजीनियरों एडगर और फर्ग्यूसन की देखरेख में राजसी अवधि के दौरान हुआ था, और राजस्थान के गठन के बाद मुख्य अभियंता मोती सिंह की निगरानी में पूरा हुआ था (Tourism Rajasthan)।

ऐतिहासिक महत्व

सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रभाव

जवई बांध क्षेत्र का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वैदिक युग तक जाती है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, एक ऋषि महार्षि जावली ने इस क्षेत्र में ध्यान करने के लिए शरण ली थी। यह क्षेत्र हिंदू महाकाव्य महाभारत में भी उल्लेखित है, जहां इसे माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इसे अपना अस्थायी निवास स्थान बनाया था (Jawai Nature Stay)।
120 ईस्वी में, राजा कनिष्क ने वर्तमान में पाली जिले के जेतारण और रोहत क्षेत्रों को जीत लिया था। 7वीं शताब्दी ईस्वी के अंत तक, चालुक्य वंश के राजा हर्षवर्धन ने इन क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया। यह क्षेत्र 16वीं और 17वीं शताब्दी में मारवाड़ के राठौड़ों के शासन के अधीन आ गया। 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, पाली के ठाकुरों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा (Thour Nature Resorts)।
इस क्षेत्र में रहने वाली राबरी जनजाति का विशिष्ट जीवनशैली और रंगीन पोशाक के लिए जाना जाता है। राबरी जनसंख्या का स्थानीय वन्यजीवों, विशेषकर तेंदुओं के साथ एक अनोखा संबंध है, जो उनके स्थानीय देवता के रक्षक माने जाते हैं (Times of India)।

आधुनिक समय में प्रासंगिकता

आज, जवई बांध पाली और जालोर जिलों के लिए एक महत्वपूर्ण जल आपूर्ति स्रोत है। यह सिंचाई का समर्थन करता है और जोधपुर सहित निकटवर्ती शहरों को पेयजल प्रदान करता है। बांध स्थानीय कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे खेती गतिविधियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित होती है (Tourism Rajasthan)।

पर्यटक आकर्षण और आगंतुक जानकारी

जवई बांध एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल बन गया है, जो प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव प्रेमियों को आकर्षित करता है। यह क्षेत्र अपने तेंदुआ दर्शनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी अनुमानित जनसंख्या 50 से 60 तेंदुओं की है। ये बड़े जंगली जानवर अक्सर ग्रेनाइट पहाड़ियों पर आराम करते या घूमते हुए देखे जाते हैं। इस क्षेत्र में अन्य वन्यजीव भी पाए जाते हैं, जिनमें मगरमच्छ, भालू, लकड़बग्घे और कई पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं (Tour My India)।
जवई तेंदुआ संरक्षण रिजर्व, जो 23 फरवरी 2010 को स्थापित किया गया था, क्षेत्र की वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को और भी उजागर करता है। यह रिजर्व गाइडेड सफारी प्रदान करता है, जिससे आगंतुक तेंदुओं और अन्य वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं (Thour Nature Resorts)।

आगंतुक समय और टिकट

  • आगंतुक समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
  • टिकट की कीमतें: प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति INR 100
  • गाइडेड सफारी: प्रति व्यक्ति INR 500

यात्रा सुझाव

  • सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा है, जब मौसम सुहावना होता है और तेंदुआ दिखने की संभावना अधिक होती है (Tusktravel)।
  • पहुंचने की सुविधा: निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में है (150 किमी दूर); निकटतम रेलवे स्टेशन जवई बांध रेलवे स्टेशन है।
  • फोटोग्राफी स्पॉट: पैनोरमिक दृश्यों के लिए ग्रेनाइट पहाड़ियों, सांस्कृतिक अंतर्दृष्टियों के लिए राबरी गाँव, और सूर्यास्त के लिए बांध सबसे अच्छे हैं।

त्योहार और कार्यक्रम

राणकपुर-जवई बांध महोत्सव, जो दिसंबर में आयोजित होता है, एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जो सिरोही, पाली और जालोर सहित पड़ोसी शहरों से आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह महोत्सव विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गतिविधियों की विशेषता के साथ आता है, जिससे यह जवई बांध क्षेत्र की खोज करने वालों के लिए एक आवश्यक यात्रा बन जाता है (Tourism Rajasthan)।

FAQ

प्रश्न: जवई बांध के लिए आगंतुक घण्टे क्या हैं?
उत्तर: आगंतुक समय सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है।

प्रश्न: जवई बांध के टिकट की कीमत कितनी है?
उत्तर: प्रवेश टिकट की कीमत प्रति व्यक्ति INR 100 है। गाइडेड सफारी की कीमत प्रति व्यक्ति INR 500 है।

प्रश्न: जवई बांध का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है।

प्रश्न: मैं जवई बांध कैसे पहुँच सकता हूँ?
उत्तर: निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में है, जो 150 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन जवई बांध रेलवे स्टेशन है।

निष्कर्ष

जवई बांध के इतिहास को इस क्षेत्र की दृढ़ता और पराजय का प्रतीक माना जाता है। 20वीं सदी की शुरुआत में इसके अवधारणा से 1957 में इसके पूर्णता तक, इस बांध ने स्थानीय परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, यह इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का एक प्रतीक है और आस-पास के समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत सहित इसकी अनूठी पारिस्थितिक महत्वता, जवई बांध को पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है। इस अद्भुत स्थल का अन्वेक्षण करने और इसकी जीवंत संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य में खो जाने के अवसर को न चूकें।

संदर्भ

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