Fort and Petta of Muddukayray in 1801

मडिकेरी किला

Mdikeri, Bhart

फोर्ट इंटरनल रोड, मडिकेरी, भारत का व्यापक गाइड: इतिहास, महत्त्व, और यात्रा युक्तियाँ

प्रकाशन तिथि: 31/07/2024

फोर्ट इंटरनल रोड का परिचय

मडिकेरी फोर्ट, जिसे मरकारा फोर्ट भी कहा जाता है, कलागु और वास्तुशिल्प धरोहर का प्रतीक है जो कर्नाटक के कोडागु क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। 17वीं शताब्दी में कोडागु राज्य के शासक मुद्धुराज ने इस किले का निर्माण किया था। विभिन्न शासकों जैसे टीपू सुल्तान और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने समय-समय पर इस किले को पुनर्निर्मित और सुधारा, जिससे यह किला एक अद्वितीय मिश्रण में परिवर्तित हो गया है जिसमें भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण देखा जा सकता है (Karnataka.com, Go Heritage Runs)।

मडिकेरी फोर्ट न केवल एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, बल्कि एक सांस्कृतिक खजाना भी है जो संग्रहालय में संग्रहित कलाकृतियों के माध्यम से क्षेत्र के प्रसिद्ध अतीत की झलक प्रदान करता है। आगंतुक वन्य मार्गों, गलियों, एक महल, एक चर्च, और एक जिला कारागार जैसी विभिन्न संरचनाओं का अन्वेषण कर सकते हैं। इसके आदर्श स्थान और मुफ्त प्रवेश इसे इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक आमंत्रित गंतव्य बनाते हैं (Thrillophilia, Ynorme)।

यह व्यापक गाइड मडिकेरी फोर्ट की यात्रा के लिए सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने का उद्देश्य रखता है, जिसमें इसका ऐतिहासिक महत्व, वास्तुशिल्प मुख्य बिंदु और व्यावहारिक यात्रा युक्तियाँ शामिल हैं।

विषय सूची

मडिकेरी फोर्ट का इतिहास

उत्पत्ति और प्रारंभिक निर्माण

मडिकेरी फोर्ट का निर्माण 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में कोडागु राज्य के शासक मुद्धुराज ने किया था। इस किले का निर्माण मुख्य रूप से मिट्टी का उपयोग करके किया गया था जिसमें एक महल भी शामिल था (Karnataka.com)।

टीपू सुल्तान का शासन और पुनर्निर्माण

18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, मैसूर के शासन टीपू सुल्तान ने इस किले का पुनर्निर्माण ग्रेनाइट का उपयोग करके किया और इसका नाम बदलकर जफराबाद रख दिया। इस समय के दौरान, किले की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिसमें प्रवेश द्वार पर दो जीवन आकार के हाथियों की मूर्तियों का जोड़ था (TravelTriangle)।

डोड्डा वीरा राजेंद्र का नियंत्रण

1790 में डोड्डा वीरा राजेंद्र ने टीपू सुल्तान से नियंत्रण हासिल किया। उनके शासनकाल में, किले में और सुधार किए गए जिससे उसकी रक्षा क्षमताओं और सुंदरता को बढ़ावा मिला (Wikipedia)।

लिंग राजेंद्र द्वितीय का योगदान

1812 से 1814 के बीच लिंग राजेंद्र द्वितीय ने किले में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, जिसमें महल के निर्माण में मेहराब, कांच की खिड़कियाँ और सजावट वाली बालकनियाँ शामिल थीं (Go Heritage Runs)।

ब्रिटिश युग के संशोधन

1834 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस किले का नियंत्रण किया। 1855 में उन्होंने वीरभद्र मंदिर को हटाकर सेंट मार्क का चर्च बनाया, जो अब एक संग्रहालय के रूप में कार्य करता है जिसमें विभिन्न कलाकृतियाँ संग्रहित हैं (Ynorme)।

1933 में, ब्रिटिश ने किले के परिसर में एक घड़ी की मीनार जोड़ी, जिसे किले की वास्तुशिल्प सुंदरता को और बढ़ावा मिला (TravelTriangle)।

स्वतंत्रता के बाद का युग

1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, इस किले को कोडागु जिले के सरकारी प्रशासन के मुख्यालय के रूप में पुनःस्थापित किया गया। अब कर्नाटक राज्य पुरातत्व विभाग इस स्थल का रखरखाव करता है (Karnataka.com)।

वास्तुशिल्प मुख्य बिंदु

मडिकेरी फोर्ट अपने ग्रेनाइट निर्माण, यूरोपीय शैली के स्तंभों और शतरंज-बोर्ड पैटर्न वाले फर्श के लिए प्रसिद्ध है। प्रवेश द्वार पर स्थित दो जीवन आकार की हाथी की मूर्तियाँ विशेष रूप से आकर्षक हैं (Ynorme)।

किले में गलियों और मार्गों का एक जाल भी शामिल है, जो इसे एक रहस्यमय और रोमांचक बनाता है (Go Heritage Runs)।

सांस्कृतिक महत्त्व

मडिकेरी फोर्ट कोडागु क्षेत्र की समृद्ध धरोहर का एक सांस्कृतिक प्रतीक है। किले का संग्रहालय पुरानी कलाकृतियों से भरा हुआ है, जिसमें फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा का एक बड़ा चित्र, विभिन्न शासकों के हथियार और उपकरण शामिल हैं (Ynorme)।

आगंतुक जानकारी

मडिकेरी फोर्ट हर दिन सोमवार को छोड़कर सुबह 10:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। प्रवेश मुफ्त है, जिससे यह पर्यटकों के लिए एक सुलभ गंतव्य बनाता है। यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच है (Thrillophilia)।

टिकट की कीमतें और गाइडेड टूर

मडिकेरी फोर्ट में प्रवेश मुफ्त है। गाइडेड टूर एक मामूली शुल्क पर उपलब्ध हैं, जो किले के इतिहास और वास्तुकला पर विस्तृत अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

पहुँच

यह किला मडिकेरी शहर के केंद्र में स्थित है जिसमें विभिन्न यातायात साधनों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 140 किलोमीटर दूर है, और निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर जंक्शन है, जो मडिकेरी से लगभग 120 किलोमीटर दूर है (Coorg Tourism Guide)।

निकटवर्ती आकर्षण

पर्यटक कोडागु क्षेत्र के अन्य आकर्षणों का भी आनंद ले सकते हैं, जिसमें एबे फॉल्स, राजा की सीट और दुबारे हाथी कैम्प शामिल हैं। ये स्थल प्रकृति के दृश्यों से लेकर वन्य जीवन तक विविध अनुभव प्रदान करते हैं (TravelSetu)।

आवास विकल्प

मडिकेरी फोर्ट के पास कई आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें होटल कोडागु इंटरनेशनल और होटल हिलटाउन शामिल हैं, जो आधुनिक सुविधाओं के साथ आरामदायक कमरे प्रदान करते हैं (Coorg Tourism Guide)।

विशेष कार्यक्रम और गाइडेड टूर

मडिकेरी फोर्ट विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करता है जो पूरे वर्ष होते हैं। गाइडेड टूर उपलब्ध हैं, जो किले के इतिहास और वास्तुकला पर गहन जानकारी प्रदान करते हैं।

फ़ोटो लेने के लिए उपयुक्त स्थल

किले में कई फोटोग्राफी के स्थल हैं, जिसमें प्रवेश द्वार पर हाथियों की मूर्तियाँ, घड़ी की मीनार और गलियों का जाल शामिल है।

सामान्य प्रश्न

प्रश्न: मडिकेरी फोर्ट के लिए आने का समय क्या है? उत्तर: किला प्रतिदिन सुबह 10:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है, सोमवार को छोड़कर।

प्रश्न: मडिकेरी फोर्ट के लिए कोई प्रवेश शुल्क है? उत्तर: किले में प्रवेश मुफ्त है।

प्रश्न: क्या गाइडेड टूर उपलब्ध हैं? उत्तर: हाँ, गाइडेड टूर एक मामूली शुल्क पर उपलब्ध हैं।

प्रश्न: मडिकेरी फोर्ट जाने का सबसे अच्छा समय क्या है? उत्तर: यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच है।

प्रश्न: मैं मडिकेरी फोर्ट कैसे पहुँच सकता हूँ? उत्तर: किला सड़क मार्ग से सुलभ है, जिसका निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर है और निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर है।

निष्कर्ष

मडिकेरी फोर्ट कोडागु क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का एक प्रमाण है। इसकी वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्त्व और सांस्कृतिक कलाकृतियाँ इसे इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक अनिवार्य गंतव्य बनाती हैं।

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