ASI Description Board of Chandraketugarh ancient mound in North 24 Parganas, West Bengal

चन्द्रकेतुगढ़

Badudiya, Bhart

चंद्रकेतुगढ़: देखने के घंटे, टिकट, और ऐतिहासिक स्थल

तारीख: 18/07/2024

परिचय

कोलकाता के समीप चंद्रकेतुगढ़ आपको प्राचीन इतिहास की एक रोमांचक यात्रा पर ले जाता है। शांति से बहने वाली बिद्याधारी नदी के किनारे बसे इस पुरातत्व स्थल का विकास 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी सीई तक हुआ था। यह स्थान व्यापार, संस्कृति और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण केंद्र था। इसके प्राचीन अवशेष इसकी महानता की कहानियां सुनाते हैं, जिसमें रोम साम्राज्य और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैले व्यापार नेटवर्कों के प्रमाण मिलते हैं। यह स्थल प्राचीन मौर्य काल से लेकर शुंग, कुषाण और गुप्त काल तक मानव सभ्यता का एक समृद्ध गाथा प्रस्तुत करता है। 20वीं शदी में इसकी पुनः खोज ने यहां से टेराकोटा कला, सिक्के, और अनेक पुरावशेष खोजें हैं। आज, चंद्रकेतुगढ़ इतिहास प्रेमियों और जिज्ञासु यात्रियों को इसके प्राचीन अवशेष और बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर में डूबने के लिए आमंत्रित करता है। (द हिंदू, एएसआई)

अनुक्रमणिका

अतीत का पर्दाफाश - देखने के घंटे, टिकट और चंद्रकेतुगढ़ का इतिहास

चंद्रकेतुगढ़ का इतिहास

सभ्यता का उदय - पूर्व-मौर्य युग और उससे पूर्व

चंद्रकेतुगढ़ में मानव बसावट के पहले संकेत पूर्व-मौर्य युग (320 ईसा पूर्व से पहले) के माने जाते हैं। पुरातात्त्विक उत्खननों से यहां मिट्टी के पात्र और टेराकोटा की मूर्तियाँ मिली हैं, जो एक सभ्यता समाज की ओर संकेत करती हैं।

मौर्य साम्राज्य का आलिंगन - एक समृद्ध पोर्ट सिटी

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के उदय के साथ, चंद्रकेतुगढ़ एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर बन गया। बिद्याधारी नदी पर इसका रणनीतिक स्थान इसे गंगा के विशाल जलमार्ग नेटवर्क से जोड़ता था, जो दक्षिण-पूर्व एशिया तक विस्तारित था। इस युग में व्यापार और वाणिज्य का विकास हुआ, जिससे यह शहर संस्कृतियों का संगम बन गया।

शुंग, कुषाण और गुप्त - समृद्धि की धरोहर

मौर्य साम्राज्य के पतन से चंद्रकेतुगढ़ का महत्व कम नहीं हुआ। यह शहर शुंग, कुषाण और गुप्त काल में भी समृद्ध रहा। हर राजवंश ने यहां पर अपनी विशिष्ट कलात्मक शैलियों और व्यापारिक वस्त्रों की छाप छोड़ी।

गुप्तों के बाद - राजवंशों की परंपरा

गुप्त साम्राज्य के बाद, चंद्रकेतुगढ़ ने मौखरियों, बाद के गुप्त, और पालों जैसे कई क्षेत्रीय राजवंशों का उदय देखा। प्रत्येक राजवंश ने शहर की सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध किया, जिससे वास्तुकला के अवशेष और पुरातत्व वस्तुएं पीछे छूट गईं।

वंगा साम्राज्य का उदय - एक नया अध्याय

लगभग 7वीं सदी ईस्वी में, वंगा राज्य एक शक्तिशाली ताकत बनकर उभरा। वंगा शासन के तहत, चंद्रकेतुगढ़ ने व्यापार और वाणिज्य के एक केंद्र के रूप में समृद्धि पाई। इस युग में नाव के आकार की टेराकोटा पट्टिकाओं और सिक्कों पर नावों की चित्रणों की खोजें शहर की नाविक शक्ति को उजागर करती हैं।

धूल की परते - पतन और परित्याग

चंद्रकेतुगढ़ अंततः बिद्याधारी नदी के बदलते मार्ग और राजनीतिक अस्थिरता जैसी कारणों से पतन की ओर बढ़ने लगा। 12वीं सदी ईस्वी तक, यह नगर बहुत हद तक परित्यक्त हो गया था।

एक खोये हुए शहर की पुनः खोज - उत्खनन और जानकारियाँ

20वीं सदी की शुरुआत में चंद्रकेतुगढ़ की पुनः खोज ने उसके इतिहास को एक नया अध्याय दिया। 1950 के दशक में शुरू हुए पुरातात्त्विक उत्खननों ने मिट्टी के पात्र, टेराकोटा की मूर्तियाँ, सिक्के और आभूषण जैसे अवशेषों का खुलासा किया, जो प्राचीन चंद्रकेतुगढ़ के जीवन का एक जीवंत चित्रण प्रस्तुत करते हैं।

यात्री जानकारी

देखने के घंटे

चंद्रकेतुगढ़ सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक, सोमवार से रविवार तक खुला रहता है। किसी भी मौसमी बदलाव या सार्वजनिक छुट्टी के बंद होने की जानकारी के लिए पहले ही जांच लें।

टिकट की कीमत

प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए INR 50 और 12 साल के बच्चों के लिए INR 25 है। छात्र और वरिष्ठ नागरिक वैध आईडी प्रमाण प्रस्तुत करके रियायती दर पर प्रवेश कर सकते हैं।

कैसे पहुंचें

चंद्रकेतुगढ़ कोलकाता से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्री टैक्सी ले सकते हैं या सार्वजनिक परिवहन, जैसे बस या ट्रेन, का उपयोग कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन बारासत जंक्शन है।

यात्रा सुझाव

  1. आरामदायक जूते पहनें।
  2. पानी और नाश्ता अपने साथ रखें।
  3. गहरे ज्ञान के लिए स्थानीय गाइड किराए पर लें।

नजदीकी आकर्षण

  1. विक्टोरिया मेमोरियल - क्वीन विक्टोरिया के समर्पित एक भव्य संगमरमर की इमारत और संग्रहालय।
  2. भारतीय संग्रहालय - भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना संग्रहालय।
  3. हावड़ा ब्रिज - हुगली नदी पर एक प्रतिष्ठित कैंटीलीवर पुल।
  4. दक्षिणेश्वर काली मंदिर - देवी काली को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर।

सुलभता

चंद्रकेतुगढ़ आंशिक रूप से विकलांगों के लिए सुलभ है। नवीनतम सुलभता सुविधाओं के बारे में स्थानीय अधिकारियों से जांच करना अनिवार्य है।

विशेष कार्यक्रम और टूर

निर्देशित टूर उपलब्ध हैं और अत्यधिक अनुशंसित हैं। विशेष कार्यक्रम, जैसे पुरातात्त्विक प्रदर्शनियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम, समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं।

फोटोग्राफिक स्पॉट्स

प्रमुख स्थल प्राचीन अवशेष, टेराकोटा पट्टिकाएं और बिद्याधारी नदी के दृश्य शामिल हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न: चंद्रकेतुगढ़ के देखने के घंटे क्या हैं?
उत्तर: चंद्रकेतुगढ़ सोमवार से रविवार तक सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।

प्रश्न: चंद्रकेतुगढ़ के टिकट की कीमत कितनी है?
उत्तर: टिकट की कीमतें वयस्कों के लिए INR 50 और 12 साल के बच्चों के लिए INR 25 हैं। छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायती दर उपलब्ध हैं।

प्रश्न: मैं चंद्रकेतुगढ़ कैसे पहुंच सकता हूं?
उत्तर: चंद्रकेतुगढ़ कोलकाता से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप टैक्सी, बस, या ट्रेन लेकर बारासत जंक्शन पहुँच सकते हैं और फिर स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न: क्या यहां निर्देशित टूर उपलब्ध हैं?
उत्तर: हां, निर्देशित टूर उपलब्ध हैं और अनुशंसित भी हैं।

निष्कर्ष

चंद्रकेतुगढ़ इतिहास की स्थायी शक्ति का एक प्रतीक है। इसके अवशेष अतीत की कहानियां सुनाते हैं, हमें एक समय में वापस ले जाते हैं और इसके निवासियों की प्रतिभा, रचनात्मकता, और सहनशीलता की प्रशंसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। अपनी यात्रा की योजना आज ही बनाएं और चंद्रकेतुगढ़ की समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करें। (इंडियन एक्सप्रेस, TOI)

सन्दर्भ

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