East main street view of Thanjavur Varadaraja Perumal Temple in India

तंजावुर वरदराजा पेरुमल मंदिर

Tmjavur, Bhart

तंजावुर वरदराज पेरुमल मंदिर: दर्शन समय, टिकट, इतिहास और यात्रा गाइड

दिनांक: 04/07/2025

परिचय

तंजावुर का वरदराज पेरुमल मंदिर दक्षिण भारतीय भक्ति परंपराओं और चोल राजवंश की वास्तुशिल्प भव्यता का एक जीवंत प्रमाण है। भगवान विष्णु को वरदराज पेरुमल के रूप में समर्पित, “आशीर्वाद देने वाले राजा”, यह मंदिर सदियों से चले आ रहे आध्यात्मिक अभ्यास का प्रतीक है, जो भक्तों, इतिहासकारों और यात्रियों को समान रूप से आकर्षित करता है। हालांकि कांचीपुरम में अपने समकक्ष या पास के बृहदीश्वर मंदिर की तरह प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन यह एक immense धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, विशेष रूप से ज्येष्ठा नक्षत्र के तहत पैदा हुए लोगों के लिए। आगंतुक प्राचीन अनुष्ठानों, जीवंत त्योहारों और द्रविड़ मंदिर डिजाइन की कलात्मकता का अनुभव कर सकते हैं, साथ ही तमिलनाडु के सबसे आध्यात्मिक रूप से गूंजने वाले स्थलों में से एक का पता लगा सकते हैं (TN Temples Project; TempleYatri; Bhaktikalpa).

सामग्री

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और धार्मिक महत्व

उत्पत्ति और राजवंश संरक्षण

तंजावुर के वरदराज पेरुमल मंदिर की उत्पत्ति उत्तर चोल काल (11वीं–13वीं शताब्दी ईस्वी) से जुड़ी है, एक ऐसा युग जब तंजावुर मंदिर वास्तुकला और धार्मिक विद्वता का केंद्र था। मंदिर का पश्चिम मुखी गर्भगृह विष्णु मंदिरों में एक दुर्लभ विशेषता है, जो अद्वितीय स्थानीय परंपराओं को दर्शाता है। सदियों से, चोलों, नायक और मराठाओं ने मंदिर के विकास में योगदान दिया है, जैसा कि बंदोबस्त और नवीनीकरण का विवरण देने वाले शिलालेखों से पता चलता है।

मुख्य देवता, वरदराज पेरुमल, गर्भगृह में श्रीदेवी और Bhudevi के साथ खड़े हैं—एक क्लासिक चोल प्रतिमा-विज्ञान मोटाफ। मंदिर की संरचना, जिसमें इसका विमान, प्राकारम और कई मंडपम शामिल हैं, द्रविड़ वास्तुकला सिद्धांतों के स्थायी प्रभाव को दर्शाती है।

अनुष्ठान प्रथाएं और सामुदायिक भूमिका

वरदराज पेरुमल विष्णु की परोपकारिता और सुरक्षा का प्रतीक हैं। दैनिक पूजा आगमिक परंपराओं का पालन करती है, जिसमें पुजारी सुबह और शाम के अनुष्ठान करते हैं। मंदिर स्थानीय समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो जीवन-चक्र समारोहों और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले वार्षिक त्योहारों का आयोजन करता है।

किंवदंतियाँ मंदिर को ब्रह्मा की यज्ञ और विष्णु की वरदान-प्रदान करने की शक्ति जैसी अखिल भारतीय पौराणिक कथाओं से जोड़ती हैं, और इसके पवित्र प्रतिमाओं का संग्रह क्षेत्रीय धार्मिक विरासत के संरक्षण में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है (Bharat Ke Wow).


वास्तुशिल्प विशेषताएँ और प्रतीकवाद

  • विन्यास और अभिविन्यास: मंदिर आगमिक सिद्धांतों का पालन करता है, जिसमें गर्भगृह पश्चिम की ओर है, जो उप-मंदिरों, स्तंभों वाले हॉल (मंडपम) और एक पवित्र जल निकाय (अनंत तीर्थम) से घिरा हुआ है (TempleYatri).
  • गोपुरम (द्वार टावर): स्टुको आकृतियों और पौराणिक रूपांकनों से सुशोभित बहु-स्तरीय गोपुरम, प्रवेश द्वार को चिह्नित करता है।
  • मंडपम: प्रसिद्ध 100-स्तंभों वाले हॉल में पौराणिक दृश्यों और पुष्प पैटर्न को दर्शाने वाले जटिल नक्काशीदार ग्रेनाइट कॉलम हैं, जो त्योहारों और समारोहों के लिए स्थान प्रदान करते हैं।
  • गर्भगृह और विमान: मुख्य देवता एक खिड़की रहित गर्भगृह में निवास करते हैं, जिसके ऊपर एक पिरामिडनुमा विमान है, जो परमात्मा की ओर आध्यात्मिक आरोहण का प्रतीक है।
  • उप-मंदिर: पेरुंदेवी थायर (लक्ष्मी), गरुड़ और वैष्णव संतों को समर्पित ये मंदिर अद्वितीय विमानों और कांस्य प्रतिमाओं से सुशोभित हैं (Gosthala).
  • शिल्प और सजावट: मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर रामायण और महाभारत के एपिसोड, साथ ही जटिल पुष्प और ज्यामितीय डिजाइन दर्शाए गए हैं।
  • सामग्री और निर्माण: मुख्य रूप से पारंपरिक जोड़ाई के साथ ग्रेनाइट से निर्मित; कॉरबेल मेहराब और पत्थर के बीम मध्यकालीन दक्षिण भारत की शिल्प कौशल को प्रदर्शित करते हैं।

त्योहार और अनुष्ठान कैलेंडर

प्रमुख त्योहार

  • मार्गशीर्ष केतई (दिसंबर–जनवरी): तमिल महीने मार्गशीर्ष के दौरान मनाया जाने वाला यह त्योहार विशेष रूप से ज्येष्ठा नक्षत्र के तहत पैदा हुए लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। अनुष्ठान स्नान (अभिषेक), दीपक अर्पण, और विशेष पूजा की जाती है (Bhaktikalpa).
  • पुरत्तासी शनिवार (सितंबर–अक्टूबर): पुरत्तासी महीने में शनिवार को विशेष सजावट, भक्ति संगीत और मीठे प्रसाद के साथ चिह्नित किया जाता है।
  • पेरिया नम्बी की जन्म नक्षत्र दिवस: तीन पवित्र जड़ी-बूटियों के मिश्रण का उपयोग करके अद्वितीय दीपक जलाने के अनुष्ठानों के साथ रामानुज के गुरु का सम्मान करता है।

अनुष्ठान प्रथाएं

  • नक्षत्र पूजा: मंदिर को “ज्येष्ठा नक्षत्र मंदिर” के रूप में जाना जाता है। भक्त आध्यात्मिक उत्थान और कर्म राहत के लिए अपने जन्म नक्षत्र के दिनों में, विशेष रूप से मंगलवार को दर्शन करते हैं (Bhaktikalpa).
  • चिकित्सा अनुष्ठान: आंखों की बीमारियों और बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं, जिसमें अभिषेक, अर्चना और दीपक जलाना शामिल है।
  • अद्वितीय प्रसाद: अनुष्ठानों में जड़ी-बूटी तेलों से दीपक जलाना, रतन धूप जलाना और ज्येष्ठा नक्षत्र से जुड़े नीम के पेड़ की पूजा करना शामिल है (FindYourFate).

दर्शन संबंधी जानकारी

समय और प्रवेश

  • सामान्य समय: प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक। त्योहारों या नक्षत्र दिनों के दौरान, समय बढ़ाया जा सकता है (FindYourFate).
  • पशुपति कोइल शाखा: सुबह 7:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे तक।
  • टिकट: सभी आगंतुकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है। दान स्वैच्छिक है और मंदिर के रखरखाव का समर्थन करता है।
  • विशेष अनुष्ठान: अभिषेक या विशेष पूजा में भाग लेने के लिए मंदिर कार्यालय के साथ अग्रिम व्यवस्था की आवश्यकता हो सकती है।

कैसे पहुँचें

  • हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय (60 किमी दूर) है।
  • ट्रेन द्वारा: तंजावुर रेलवे स्टेशन अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिसमें ऑटो-रिक्शा और टैक्सी उपलब्ध हैं।
  • सड़क मार्ग से: राष्ट्रीय राजमार्गों और स्थानीय बसों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

ड्रेस कोड और शिष्टाचार

  • मामूली, अधिमानतः पारंपरिक पोशाक: पुरुषों के लिए धोती या पैंट शर्ट के साथ; महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज।
  • प्रसाद के लिए सफेद वस्त्र शुभ होते हैं।
  • जूते बाहर छोड़ने चाहिए।
  • बाहरी क्षेत्रों में फोटोग्राफी की अनुमति है; गर्भगृह के अंदर नहीं।

सुविधाएं और पहुंच

  • पीने के पानी और शौचालयों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
  • मंदिर मध्यम रूप से सुलभ है; गतिशीलता की समस्या वाले लोगों को प्रवेश द्वार पर सीढ़ियों के कारण सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
  • त्योहारों के दौरान, अस्थायी स्टालों पर नाश्ता और प्रसाद मिलता है।

यात्रा सुझाव

  • शांत अनुभव के लिए सुबह जल्दी या देर शाम को जाएं।
  • आवास और परिवहन के लिए प्रमुख त्योहारों के दौरान पहले से योजना बनाएं।
  • इतिहास और अनुष्ठानों में गहरी जानकारी के लिए स्थानीय गाइड किराए पर लें।

आसपास के आकर्षण

  • बृहदीश्वर मंदिर: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जिसमें शानदार चोल वास्तुकला है।
  • तंजावुर मराठा पैलेस: सरस्वती महल पुस्तकालय और कला गैलरी का घर।
  • रामस्वामी मंदिर, अलंगुडी गुरु मंदिर, स्वामीमलाई मुरुगन मंदिर: उनके धार्मिक और वास्तुशिल्प महत्व के लिए उल्लेखनीय।
  • दरासुरम, कुंभकोणम, गंगईकोंडा चोलापुरम: अन्य महत्वपूर्ण मंदिर शहर।

Tour My India और Capture A Trip पर एक व्यापक सूची देखें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: मंदिर के दर्शन का समय क्या है? A: मुख्य मंदिर सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है; पशुपाति कोइल शाखा सुबह 7:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे तक।

Q2: क्या कोई प्रवेश शुल्क है? A: नहीं, प्रवेश निःशुल्क है। दान का स्वागत है।

Q3: क्या मैं अनुष्ठानों में भाग ले सकता हूँ? A: हाँ, विशेष रूप से नक्षत्र दिनों और प्रमुख त्योहारों के दौरान।

Q4: क्या मंदिर विकलांग आगंतुकों के लिए सुलभ है? A: कुछ सीढ़ियाँ मौजूद हैं; सहायता की आवश्यकता हो सकती है। बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

Q5: क्या निर्देशित पर्यटन उपलब्ध हैं? A: स्थानीय गाइड किराए पर लिए जा सकते हैं; मंदिर कार्यालय में या यात्रा एजेंसियों के माध्यम से पूछताछ करें।

Q6: फोटोग्राफी के नियम क्या हैं? A: मंदिर के आंगन में अनुमति है; गर्भगृह के अंदर प्रतिबंधित है।


निष्कर्ष

तंजावुर का वरदराज पेरुमल मंदिर एक वास्तुशिल्प रत्न और आध्यात्मिक अभयारण्य है, जो आगंतुकों को तमिलनाडु की भक्ति विरासत से गहरा संबंध प्रदान करता है। चोल कलात्मकता, जीवंत त्योहारों और जीवित अनुष्ठान परंपराओं के अद्वितीय मिश्रण इसे भक्तों, इतिहासकारों और यात्रियों के लिए अवश्य देखने लायक बनाते हैं। एक immersive अनुभव के लिए प्रमुख त्योहारों के आसपास अपनी यात्रा की योजना बनाएं, मंदिर शिष्टाचार का पालन करें, और अपनी यात्रा को समृद्ध करने के लिए आसपास के आकर्षणों का पता लगाएं।

अधिक जानकारी के लिए, इन संसाधनों पर जाएँ:


तंजावुर घूमने के लिए तैयार हैं? वरदराज पेरुमल मंदिर और उससे आगे की आपकी यात्रा को समृद्ध करने के लिए निर्देशित ऑडियो टूर, इंटरैक्टिव मानचित्र और विशेष सुझावों के लिए Audiala ऐप डाउनलोड करें। अपडेट और यात्रा प्रेरणा के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।


Visit The Most Interesting Places In Tmjavur

अय्यरप्पर मंदिर
अय्यरप्पर मंदिर
बृहदेश्वर मन्दिर
बृहदेश्वर मन्दिर
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, तंजावुर
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, तंजावुर
सरस्वती महल ग्रन्थालय
सरस्वती महल ग्रन्थालय
तमिल विश्वविद्यालय
तमिल विश्वविद्यालय
तंजौर विमानक्षेत्र
तंजौर विमानक्षेत्र
तंजावुर मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर।
तंजावुर मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर।
तंजावूर मराठा पैलेस
तंजावूर मराठा पैलेस
तंजावुर नागनाथस्वामी मंदिर
तंजावुर नागनाथस्वामी मंदिर
तंजावुर नालुकल मंडप अंजनेय मंदिर
तंजावुर नालुकल मंडप अंजनेय मंदिर
तंजावुर वीरभद्र मंदिर
तंजावुर वीरभद्र मंदिर
तंजावुर वरदराजा पेरुमल मंदिर
तंजावुर वरदराजा पेरुमल मंदिर